कार्ड निगलने लगी एटीएम
जोधपुर. शास्त्री सर्किल पर स्थित आईडीबीआई के एटीएम पर रुपए निकालने पहुंचे हरिओम जाटव को रुपए तो मिले नहीं उलटा उसका कार्ड ही मशीन निगल गई। उसने कई बार कोशिश की लेकिन कार्ड बाहर आया ही नहीं। आखिर उसने वहां शिकायत पुस्तिका में शिकायत लिखी और बैंक गया।
बैंक में बताया गया कि उसका पीएनबी एटीएम कार्ड नष्ट कर दिया है। अब नए कार्ड के लिए पीएनबी ही जाना पड़ेगा। पीएनबी में उसे डेढ़ सौ रुपए देने और तीन दिन बाद आने को कहा गया। करीब सात महीने पहले भी इसी एटीएम में उसका कार्ड फंस गया था तब सौ रुपए देकर नया कार्ड बनवाना पड़ा था। एक बार फिरएटीएम मशीन की गलती का खमियाजा हरिओम को भुगतना पड़ रहा है। हरिओम अकेला ही नहीं है। एक पखवाड़े में आईडीबीआई बैंक की शहर में लगी एटीएम में कार्ड फंसने की कई शिकायतें हुईं। जागरूक पाठक ने एटीएम के कार्ड डकारने की सूचना डीबी स्टार टीम को दी तो टीम ने पड़ताल की।
शहर में लगी कुछ मशीनों में तकनीकी खराबी आ गई। ज्यादा परेशानी उन यूजर्स को हुई जो अन्य बैंकों के ग्राहक हैं और एटीएम आईडीबीआई का यूज करने पहुंचे। शहर में आईडीबीआई की 8 एटीएम हैं। शास्त्री सर्कल समेत 2 मशीनों पर कार्ड फंसने की शिकायतें ज्यादा हैं। इसकी शिकायत करने जब ग्राहक बैंक जा रहे हैं तो बताया जा रहा है कि एटीएम में फंसे कार्ड नष्ट कर दिए। अब उन्हें नया कार्ड लेना पड़ेगा। अब ग्राहकों को नए कार्ड के लिए न केवल सारी औपचारिकताएं नए सिरे से करनी पड़ रही है बल्कि शुल्क भी देना पड़ रहा है। टीम ने बैंक के जिम्मेदारों से बात की तो वे बोले कि कार्ड नष्ट करने की प्रक्रिया वीजा नियमों के तहत ही हो रही है।
बैंक की गलती ग्राहकों पर भारी
ऐसे एटीएम पर संभल कर ट्रांजेक्शन करें जहां कार्ड ट्रांजेक्शन के दौरान मशीन में डालना पड़ता है। यही नहीं, एटीएम से पैसे निकालने के दौरान नोट गिनने की बजाय एटीएम कार्ड पर ध्यान रखें। कहीं ऐसा न हो कि आप नोट गिनने में व्यस्त हों और मशीन आपका कार्ड लौटाने से ही मना कर दे। कुछ एटीएम पर ऐसी शिकायतें मिली हैं। कई मशीनों पर कुछ सैकंड में कार्ड वापस नहीं लिया गया तो मशीन यह कार्ड जब्त कर लेती है और बैंक वाले इस कार्ड को नष्ट कर देते हैं। इससे यूजर्स को आर्थिक नुकसान तो उठाना पड़ ही रहा है। साथ ही नया दूसरा कार्ड बनाने के लिए बैंकों के चक्करों में उनका समय बर्बाद हो रहा है।
डीबी स्टार को मिल रही शिकायतों पर टीम ने एटीएम की पड़ताल की तो सारी हकीकत सामने आ गई। शास्त्री सर्किल स्थित आईडीबीआई बैंक कीएटीएम मशीन ही कई यूजर्स के कार्ड निगल चुकी है। हालांकि शिकायत करने पर आईडीबीआई बैंक अपने ग्राहकों को तो बिना किसी शुल्क के नया कार्ड दे रही है लेकिन अन्य बैंकों के कार्ड होल्डर्स को नया कार्ड लेने के लिए पैसा चुकाना पड़ रहा है।
भरी पड़ी हैं कंप्लेंट बुक
कहीं फटे नोट निकल रहे हैं तो कहीं नकली। कहीं पर बिना रुपए निकले ही खाते से रुपए कट रहे हैं तो कहीं कार्ड ही काम नहीं कर रहे हैं। एटीएम सेंटरों पर पड़ी शिकायत-पुस्तिका पर शिकायतों की भरमार होने के बावजूद जिम्मेदार व्यवस्था सुधारने के प्रति गंभीर नहीं हैं।
ध्यान चूकने से फंस गया कार्ड
मेरे पास आईडीबीआई बैंक का एटीएम कार्ड है। मैंने 19 जून को शास्त्रीनगर स्थित बैंक के एटीएम से ट्रांजेक्शन किया तो उस समय रुपए गिनने के चक्कर में कार्ड लेना भूल गया और कार्ड मशीन में फंस गया। तब मैंने वहां रजिस्टर में एंट्री कर दी और बैंक में कार्ड लेने गया तो वहां से मुझे मेरा कार्ड बिना किसी शुल्क के वापस मिल गया। - कानसिंह राठौड़, प्राइवेट जॉब
कार्ड ब्लॉक कराने के बावजूद निकलते रहे
एटीएम कार्ड खोने पर सिर्फ बैंक को सूचना देकर ही निश्चिंत न हो जाएं क्योंकि हो सकता है कि इस एटीएम कार्ड से आपके खाते का पैसा कोई निकालता ही जाए। बीकानेर से गुम हुए एक एटीएम का उपयोग जोधपुर में धड़ल्ले से होता रहा जबकि एटीएम कार्डधारक ने इसे गुम होते ही ब्लॉक करवा दिया है। अब बैंक वाले न तो उसकी बात सुन रहे हैं और न ही संतोषजनक जवाब दे रहे हैं।
बीकानेर निवासी एचपी माथुर 3 अक्टूबर २क्क्९ को एक शादी समारोह में शिरकत करने जोधपुर आए थे। इस शादी में उनका एटीएम कार्ड (नंबर 6002060105970032230) गुम हो गया। दो दिन बाद वे बीकानेर लौटे तो एसबीबीजे की पवनपुरी शाखा में जाकर अपना खाता चैक करवाया। पता चला कि किसी ने उनके गुम हुए कार्ड का उपयोग जोधपुर के एटीएम पर करके 20 हजार रुपए निकाल लिए हैं। तत्काल उन्होंने एटीएम कार्ड गुम होने की सूचना बैंक में देते हुए 5 अक्टूबर 2009 को कार्ड लॉक करने की एप्लीकेशन लिख दी।
10 अक्टूबर 2009 को नए कार्ड के लिए आवेदन कर दिया और दिसम्बर में नया कार्ड मिल भी गया। इसके बाद भी पुराना कार्ड खारिज नहीं हुआ। शातिर ने अक्टूबर से अप्रैल तक उनके खाते से कुल 59500 रुपए निकाल लिए। माथुर ने ट्रांजेक्शन नहीं रोकने एवं पुराने कार्ड को लॉक नहीं होने पर बैंक को पत्र लिखे लेकिन ध्यान नहीं दिया। पुराने एटीएम का उपयोग हर बार जोधपुर के किसी एटीएम से किया गया।
माथुर ने पहले बीकानेर बैंक में संपर्क किया। जब वहां संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो वे जोधपुर स्थित एसबीबीजे के जोनल ऑफिस पहुंचे। वहां भी उनकी बात नहीं सुनी गई। यही नहीं, अक्टूबर में कार्ड ब्लॉक करवाने के बावजूद उसका उपयोग करीब-करीब हर महीने किया गया। अप्रैल, 2010 में तो दस बार इस कार्ड का इस्तेमाल करते हुए कभी हजार तो कभी दो हजार रुपए निकाले गए।
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