अमीन खोलेगा अमित शाह की पोल!
अहमदाबाद, (संवाददाता)... सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभे़ड मामले में गिरफ्तारी के एक दिन बाद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्य सहयोगी राज्य के पूर्व गृह राज्यमंत्री अमित शाह को तब तग़डा झटका लगा जब दो पुलिसकर्मियों ने सीबीआई को मदद का भरोसा दिलाया। इस मामले में सह अभियुक्त पूर्व डीएसपी एमके अमीन शाह के खिलाफ हो गए हैं और माना जा रहा है कि उसके पास काफी जानकारी है जो शाह के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। अमीन ने सकारी गवाह बनने के बारे में सीबीआई कोर्ट को बताया है।
एक और घटनाक्रम में पूर्व अतिरिक्त डीजीपी जीसी रैगर ने केंद्रीय जांच एजेंसी के आला अधिकारियों को एक विस्फोटक जानकारी दी बताई है। वे सीबीआई के गवाह बनने को तैयार हो गए हैं। सोहराबुद्दीन मुठभे़ड मामले को सीबीआई को सौंपने से पहले इस मामले की सीआईडी जांच रैगर के दिशा निर्देश में हो रही थी। अमीन के वकील ने सीबीआई कोर्ट में एक अर्जी देकर उसे अपराध के लिए क्षमा देने की मांग की तथा सुरक्षा कारणों से दूसरे जेल में भेजने के लिए कहा। कई मुठभे़डों में शामिल रहे तथा एक क़डक पुलिस अधिकारी की छवि वाले पूर्व डीएसपी की शाह के खिलाफ गवाही से पूर्व गृह राज्यमंत्री की निर्दोष होने वाली दलीलें असरदार नहीं रहेंगी। अमीन व दूसरे पुलिसकर्मियों द्वारा खिलाफ गवाही देने पर मोदी का शाह का यह बचाव कि वे राजनीतिक साजिश का शिकार हुए हैं तथा सोहराबुद्दीन खतरनाक अपराधी था, कमजोर कर देगा।
नवंबर 2005 में सोहराबुद्दीन व उसकी पत्नी कौसर बी की हत्या से पहले सप्ताह में अमीन व शाह की 32 बार टेलीफोन पर बात हुई। इस पर भाजपा ने दावा किया है कि इससे कुछ सिद्ध नहीं होता क्योंकि एक कार्यशील व व्यावहारिक गृहमंत्री होने के नाते शाह को संवेदनशली कार्यो के लिए पुलिसकर्मियों के साथ संपर्क में रहना होता था। सीबीआई यहां कमजोर प़डती है कि शाह व अमीन के बीच क्या बातें हुई। पूर्व डीएसपी हालांकि इन कमिसों को पूरा कर सीबीआई की मदद कर सकता है। हालांकि अमीन को फर्जी मुठभे़ड मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया था और वह खुद ही इस मामले में गिरफ्तार हुआ। अमीन इस मामले में काफी कुछ जानता है यहां तक की शाह की भूमिका के बारे में भी। जब सीबीआई ने इस वर्ष के शुरू में अमीन के घर छापा मारा था तब उसे पक्का यकीन था कि उन्होंने यह बिल्कुल सही किया है। वहां उसे एक ऑडियो रिकॉर्डिग मिली जो शाह के खिलाफ महत्वपूर्ण साक्ष्य है। ऎसा संदेह है कि अमीन के पास इस मुठभे़ड को अंजाम देने वाले व साजिश रचने वाले लोगों के खिलाफ दस्तावेजी साक्ष्य है। अमीन का सरकारी गवाह बनने का यह कदम चौंकाने वाला नहीं है। 2007 में जब उसे जेल भेजा गया था तभी से मामले के अन्य अभियुक्तों से उसका मनमुटाव चल रहा है। 2009 में सत्र न्यायाधीश के समक्ष हलफनामा दायर कर उसने उन लोगों को बेनकाब करने की धमकी दी थी जिनका इस मामले में अभी तक नाम तक नहीं है। उसने दावा किया था कि उसके पास उन लोगों की आवाज तक रिकॉर्ड है जो इस हत्याकांड में शामिल रहे हैं। अमीन के वकील राजेश मोदी ने कहा, साबरमति जेल में सभी अभियुक्त एकसाथ बंद हैं इसलिए अमीन की जान को खतरा है। इसलिए हमने जेल बदली की अर्जी देने का निर्णय किया। गुजरात पुलिस में शामिल होने से पहले पेशे से डॉक्टर अमीन वीएचपी नेता प्रवीण तोगç़डया का करीबी दोस्त था। दोनों अहमदाबाद में मेकिल के छात्र रहे हैं।
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