इस तरह पूरा होगा आपका मिलन
पुरूष का कामोद्दीपक चाप यौनेच्छा से स्खलन की स्थिति तक ऊपर की ओर जाता है और उसके बाद एकदम नीचे आ जाता है। शिश्न पूरी तरह शिथिल हो जाता है। इसके विपरीत महिला का चाप अपेक्षतया धीरे-धीरे उठता है और धीरे-धीरे शमित होता है।
पुरूष के कामोत्ताप की स्थिति को पहुंचने के बाद जो महिला संभोग की क्रिया को आगे बढ़ाना चाहती है, उसे उस समय निराशा हाथ लगती है जब उसका पति दूसरी तरफ मुंह करके सो जाता है। इसका स्पष्ट कारण यह है कि पुरूष का कामोद्दीपक चाप यौनेच्छा से स्खलन की स्थिति तक ऊपर की ओर जाता है और उसके बाद एकदम नीचे आ जाता है। शिश्न पूरी तरह शिथिल हो जाता है। इसके विपरीत महिला का चाप अपेक्षतया धीरे-धीरे उठता है और धीरे-धीरे शमित होता है। संभोग को लंबा खींचने से महिला कामात्ताप की स्थिति को पहुंच सकेगी अन्यथा श्रोणिप्रदेश की संकुलता से राहत न मिल पाने के कारण उसे लगभग दो घण्टे तक मंद-मंद दर्द और बेचैनी बनी रहेगी और वह निराशा से घिरी रहेगी।
स्वस्थ वैवाहिक संबंधों के लिए स्त्री पुरूष दोनों संभोग के बाद (संभोगोत्तर) प्रक्रियाओं का महत्व स्वीकार करते हैं: 56 प्रतिशत पुरूष और 78 फीसदी महिलाएं ऐसा मानती हैं कि संभोग के बाद की क्रियाएं महत्वपूर्ण होती हैं। पुरूषों की तुलना में महिलाएं इसे अधिक महत्व प्रदान करती हैं।
55 प्रतिशत महिलाएं यह चाहती हैं कि कामोताप की स्थिति को पहुंचने के बावजूद संभोगोत्तर क्रियाएं की जानी चाहिए जबकि 46 प्रतिशत पुरूष भी उनसे सहमत हैं। 87 प्रतिशत महिलाएं और 43 प्रतिशत पुरूष संभोगोत्तर क्रियाओं को अनेक कामोत्तापों की दृष्टि से जरूरी मानते हैं। यद्यपि ऐसा लगता है कि पुरूष संभोगोत्तर क्रियाओं को महत्व स्वीकार करते हैं किंतु वस्तुत: 81 प्रतिशत पुरूष इसे व्यवहार में नहीं लाते और 49 प्रतिशत महिलाएं भी इसी श्रेणी में आती हैं।
पुरूषों को महिलाओं की, विशेष रूप से संभोग के बाद की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनहीन होने का दोषी पाया जाता है। जबकि स्त्री यह चाहती है कि संभोग के बाद पुरूष उसकें साथ सटकर लेटा रहे, उसे छाती से लगाए रहे। जबकि पुरूष प्राय: सिगरेट जलाकर शून्य में कुछ देखने लगता है या करवट बदलकर खर्राटे भरने लगता है जिससे महिला खीझ उठती है। जिस प्रकार महिलाओं को कामोत्तेजित होने में पुरूषों से अधिक समय लगता है। उसी प्रकार अपनी मूल मन:स्थिति में आने में भी उन्हें पुरूषों की तुलना मे अधिक समय लगता है। सर्वेक्षण से यह बात पता चलती है कि स्त्री-पुरूषों के इस तथ्य से अवगत होने के बावजूद अधिकांश पुरूष इस बात का ध्यान नहीं रखते। स्वभावत: इस कारण उनकी महिला साथियों को अपेक्षतया कम भावनात्मक संतुष्िट मिल पाती है। जबकि उनमें से अधिकांश किसी न किसी प्रकार की संभोगोत्तर क्रियाओं में लिप्त होती प्रतीत होती है।
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